Saghar Siddiqui
Born: Muhammad Akhtar
1928, Ambala, Punjab, British India
Died: 19 July 1974 (aged 45-46) Lahore, Punjab, Pakistan
Pen name: Saghar
Occupation: poet in both Urdu and Punjabi languages
Nationality:Pakistani
Genre: Ghazal, Nazm, Free verse
Saghar Siddiqui |
Main Talkhi e Hayat se ghabara ke pi gaya ghazal
मैं तल्ख़ी-ए-हयात से घबरा के पी गयाTAGS: Saghar Siddiqui, Main Talkhi e Hayat se ghabara ke pi gaya ghazal
ग़म की सियाह रात से घबरा के पी गया
इतनी दक़ीक़ शय कोई कैसे समझ सके
यज़्दाँ के वाक़िआ'त से घबरा के पी गया
छलके हुए थे जाम परेशाँ थी ज़ुल्फ़-ए-यार
कुछ ऐसे हादसात से घबरा के पी गया
मैं आदमी हूँ कोई फ़रिश्ता नहीं हुज़ूर
मैं आज अपनी ज़ात से घबरा के पी गया
दुनिया-ए-हादसात है इक दर्दनाक गीत
दुनिया-ए-हादसात से घबरा के पी गया
काँटे तो ख़ैर काँटे हैं इस का गिला ही क्या
फूलों की वारदात से घबरा के पी गया
'साग़र' वो कह रहे थे कि पी लीजिए हुज़ूर
उन की गुज़ारिशात से घबरा के पी गया
तल्ख़ी-ए-हयात= Bitterness ऑफ लाइफज़ुल्फ़-ए-यार= Beloved's tressesदक़ीक़= कठिन, मुश्किलयज़्दाँ= GOD
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